इस आर्टिकल में हम ISP के बारे में सीखेंगे। ISP क्या है? (What is ISP?), ISP का फुल फॉर्म क्या है? ISP के प्रकार? इसका महत्व? आदि। आईएसपी की सम्पूर्ण जानकरी आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगी।
ISP क्या है?
ISP एक ऐसी कंपनी होती है, जो अपने ग्राहकों या उपयोगकर्ताओं को इन्टरनेट सेवा प्रदान करती है। अगर इसे आसान सब्दों में समझें, तो आप जिस कंपनी से अपने घर या ऑफिस के लिए इन्टरनेट कनेक्शन लेते है, वही कंपनी आपका ISP कहलाता हैं।
वह सभी आर्गेनाईजेशन या कंपनी जो इन्टरनेट सेवा प्रदान करने का कार्य करती है, उन कंपनी को ISP अर्थात इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर कहा जाता है। आईएसपी, आपको इन्टरनेट सक्षम बनाता है। बहुत से आईएसपी, उपयोगकर्ता को इन्टरनेट एक्सेस प्रदान करने के अलावा और भी कई अन्य इन्टरनेट सेवा प्रदान करती है। जैसे : ईमेल सेवा, वेब होस्टिंग, डोमेन, वेबसाइट डिजाईन, सॉफ्टवेयर पैकेज, आदि।
An Internet Service Provider (ISP) is an Organization that provides many different services for accessing, using or participation in the Internet. - Wikipedia
इन्टरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) एक ऐसा संगठन है, जो इन्टरनेट तक पहुँचे और उपयोग करने वाली सेवाएँ प्रदान करता है। - विकिपीडिया
आईएसपी के माध्यम से ही आप अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, इत्यादि डिवाइस को इन्टरनेट से कनेक्ट कर पाते है। भारत में पहली बार "विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) द्वारा 14 अगस्त 1995 में इन्टरनेट सेवा शुरू की गयी थी। इस प्रकार भारत की पहली ISP कंपनी विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) है।
आईएसपी के पास उनके ग्राहकों का पूरा डाटा होता है, इन्टरनेट पर क्या सर्च कर रहे है, कौन कौन सी वेबसाइट एक्सेस कर रहे है, क्या डाउनलोड कर रहे है, इत्यादि। यह किसी भी वेबसाइट को कभी भी ब्लॉक कर सकती है, क्यूंकि इनके पास इसका पूरा कण्ट्रोल होता है।
ISP का फुल फॉर्म क्या है?
आईएसपी का फुल फॉर्म "इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर" होता है।
ISP - Internet Service Provider
ISP का फुल फॉर्म हिन्दी में
आईएसपी का फुल फॉर्म हिन्दी में "इन्टरनेट सेवा प्रदाता" होता है।
ISP - इन्टरनेट सेवा प्रदाता
ISP के प्रकार?
ISP अपने ग्राहकों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए कई प्रकार के इन्टरनेट कनेक्शन प्रदान करता है।
1) Dial-up
Dial-up कनेक्शन पहले के समय में उपयोग होता है, आज के समय में यह कनेक्शन समाप्त हो गयी है। इसमें यूजर को इन्टरनेट कनेक्शन के लिए टेलीफ़ोन लाइन का उपयोग करना होता है। Dial-Up Connection को setup करने के लिए modem की जरूरत होती है। और यह modem कंप्यूटर और टेलीफ़ोन लाइन के बीच interface की तरह कार्य करता हैं।
इस प्रकार के कनेक्शन की स्पीड बहुत slow होता है। छोटे ग्रामीण क्षेत्र जहाँ केबल कनेक्शन नहीं होती है, वहां पर इस प्रकार के कनेक्शन का उपयोग इन्टरनेट सेवा प्रदान करने के लिए किया जाता है।
2) DSL
DSL का पूरा नाम Digital Subscriber Line होता हैं। यह भी डायल-अप कनेक्शन की तरह ही होता है, मगर उससे ज्यादा बेहतर हैं। क्यूंकि इसमें भी टेलीफ़ोन लाइन के जरिये ही यूजर तक इन्टरनेट सेवा पहुँचाई जाती हैं मगर इसमें इन्टरनेट कनेक्टिविटी स्पीड डायल-अप से बेहतर होती है।
यह आज के समय के मॉडर्न टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से यूजर के घर या ऑफिस में हाई स्पीड इन्टरनेट सेवा प्रदान करता हैं। कई टेलिकॉम कंपनी और फ़ोन कंपनी DSL कनेक्शन प्रदान करती हैं। इसे ब्रॉडबैंड कनेक्शन का एक रूप भी कह सकते है।
3) Cable Internet
Cable Internet कनेक्शन के लिए टेलीफोन लाइन का उपयोग नहीं होता है। इसके लिए Cable wire का उपयोग होता है, जिसे Coaxial Cable कहा जाता है। ISP अपने यूजर के घर या ऑफिस तक केबल लाइन (Coaxial Cable) बिछाता हैं। जिसे एक modem से कनेक्ट किया जाता है।
इसके बाद Ethernet Cable के जरिये modem को कंप्यूटर से कनेक्ट किया जाता है। जिसके बाद यूजर को हाई-स्पीड इन्टरनेट सेवा मिलती हैं। इसे एक तरह से Broadband कनेक्शन भी कह सकते है। Coaxial Cable, टेलीफोन लाइन के मुकाबले में अधिक गति से डाटा स्थानांतरण कर सकती हैं।
4) Wireless Broadband (WiBB)
Wireless Broadband Connection, एक ऐसे प्रकार का कनेक्शन है जिसमे वायर का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें कनेक्शन बिना केबल या बिना वायर के होते है। वायरलेस कनेक्शन वाई-फाई के जरिये इन्टरनेट प्रदान करती है। अगर आपके पास एक से ज्यादा कंप्यूटर, टैब, स्मार्टफोन है, तो आप Wi-Fi इन्टरनेट कनेक्शन लगवा सकते है।
आजकल हर स्मार्टफोन, टैब या लैपटॉप में वाई-फाई उपलब्ध होता है। इसलिए हम आसानी से होटल, रेस्टोरेंट, एयरपोर्ट, आदि जैसे पब्लिक प्लेसेस में वाई-फाई का इस्तेमाल करके इन्टरनेट एक्सेस कर लेते है। इसके अलावा वाई-फाई ब्रॉडबैंड कनेक्शन आप अपने घर या ऑफिस में भी लगवा सकते है।
इसके लिए यूजर को modem के साथ साथ राऊटर की भी जरूरत होती है। वाई-फाई अन्य वायरलेस तकनीक की तरह ही कार्य करता है। यह दो या दो से ज्यादा डिवाइस को अपने साथ जोड़ कर सिग्नल ट्रान्सफर करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है।
5) Fiber Optical Internet Connection
यह एक नई तकनीक है, जिसकी इन्टरनेट स्पीड बाकी सभी प्रकारों की तुलना में कई गुणा तेज़ हैं। इसमें डाउनलोड स्पीड लगभग 1 Gbps होती है। इसमें यूजर तक इन्टरनेट सेवा पहुँचाने के लिए Fiber Optic Cable का प्रयोग किया जाता है।
यह एक नई तकनीक है, इसलिए अभी कुछ चुनिन्दा और प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध हैं। ISP इसे अधिक शहरों तक उपलब्ध तो कराना चाहती है, मगर फाइबर ऑप्टिक केबल को स्थापित करने की लागत बहुत ज्यादा है, इसलिए ISP इसे ज्यादा शहरों तक पहुँचाने में अभी तक सक्षम नहीं हो पायी है।
ISP का वर्गीकरण?
इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर को उनके स्तर और उनकी सेवाओं के अनुसार तीन हिस्सों में बातां गया है :
TIER 1
Tier 1 ISP कंपनी ग्लोबल स्तर की कंपनी होती है। यह बाकी आईएसपी की तुलना में सबसे बड़ी आईएसपी होती है, जो अन्तराष्ट्रीय स्तर पर विभिन देशों को इन्टरनेट से जोड़ने का कार्य करती है। यह कंपनियाँ समुद्र के अंदर केबल बिछाकर अलग अलग देशों के बीच इन्टरनेट पहुँचाती हैं।
इन्हें Backbone of Internet Provider भी कहा जाता है। क्यूंकि अगर यह कंपनी फेल होती है या इसमें कोई समस्या आती है, तो कई देशों की इन्टरनेट सेवा धप हो सकता है। जैसा कि आप सभी जानते है कि इन्टरनेट का स्वामित्व किसी के पास नहीं है।
तो ऐसे में हम तक इन्टरनेट कैसे पहुँचता है और हमारे द्वारा दिया गया शुल्क किसको जाता है? हम तक इन्टरनेट की पहुँच Tier 1 ISP कंपनी के कारण ही संभव हो पाया है। और हमारे द्वारा दिए गए शुल्क का बड़ा हिस्सा इन्ही को जाता है। जो देशों और महाद्वीपों के बीच समुद्र के अंदर केबल बिछाकर इन्टरनेट प्रोवाइड करने के कार्य करती है। टियर 1 आईएसपी कंपनी के कुछ उदहारण :- Telstra, Sprint, Singtel, AT&T, NTT.
TIER 2
Tier 2 ISP कंपनी राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती है। इस प्रकार के कंपनी टियर 1 और टियर 3 के बीच में कार्य करते है। अर्थात इनकी पहुँच क्षेत्रीय या देश के अंदर रहती है। यह माध्यम प्रकार के ISP होते है। जो टियर 1 से छोटे होते है मगर टियर 2 से बड़े कंपनी होती है।
जब Tier 1 इन्टरनेट सेवा देश तक पहुँचाती है, तब उसके बाद Tier 2 उस इन्टरनेट कनेक्शन को देश के विभिन राज्यों तक पहुँचाते हैं। अर्थात देश के अंदर सभी अलग अलग राज्यों और शहरों तक इन्टरनेट पहुँचाने का कार्य Tier 2 कंपनी करती है।
इस प्रकार के कंपनी में peering agreement के साथ साथ transit द्वारा भी इन्टरनेट ट्रैफिक एक्सचेंज किया जाता है। मतलब यह कि transit कनेक्शन normally टियर 1 और टियर 2 के बीच और peering agreement टियर 2 के बीच आपस में किया जाता है। टियर 2 आईएसपी कंपनी के कुछ उदहारण :- Reliance Jio, Vodafone, Airtel, BSLN.
TIER 3
Tier 3 ISP कंपनी बहुत छोटे स्तर में कार्य करते है। यह सबसे छोटे ISP होते हैं, जो शहरों के अंदर घर, ऑफिस या कॉलोनी तक इन्टरनेट कनेक्शन प्रदान करके का कार्य करते है। यह Tier 2 ISP से इन्टरनेट कनेक्शन खरीदकर आम लोगों के घर, ऑफिस, आदि तक कनेक्शन पहुँचाने कर कार्य करती है।
इस प्रकार के ISP कंपनी, ट्राफिक के अनुसार टियर 2 कंपनियों से इन्टरनेट खरीदते है और अंतिम ग्राहक यानी आप लोगों के घर या ऑफिस जैसे क्षेत्रों तक इन्टरनेट की सुविधा प्रदान करते है। टियर 3 आईएसपी कंपनी के कुछ उदहारण :- Tikona, Hathway, Spectra, DEN.
ISP कैसे काम करता है?
इन्टरनेट पर किसी का स्वामित्व नहीं है। यह छोटे-बड़े कई सारे नेटवर्क का ग्लोबल कनेक्शन हैं। और इसी के कारण दुनियाभर के सारे डिवाइस इन्टरनेट के जरिये आपस में जुड़े रहते है। वास्तव में इन्टरनेट, Inter Connected Network का बहुत बड़ा जाल होता है, जिसे कंप्यूटर लैंग्वेज में ट्रांसमिशन मीडिया कहा जाता है।
इन्टरनेट की सुविधा दुनिया के कोने कोने तक पहुँचाने के लिए बहुत सारे High Bandwidth Data Lines का उपयोग किया जाता है। इसे इन्टरनेट का बैकबोन (रीड की हड्डी) भी कहा जाता है। इन लाइन्स को अलग अलग लोकेशन में मौजूद major internet hubs के साथ कनेक्ट किया जाता है। जिसके बाद यही hubs, डाटा को अलग अलग लोकेशन पर डिस्ट्रीब्यूट करते है। इन्ही Internet Hubs को ISP (Internet Service Provider) कहा जाता है।
ज्यादातर इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर, यूजर को इन्टरनेट कनेक्शन Cable, DSL या Fiber कनेक्शन के द्वारा प्रदान करते है। कंपनी के ऑफिस में रखें कंप्यूटर में इन्टरनेट कनेक्शन होता है। हो सकता है वो कंप्यूटर कंपनी के WiFi या LAN Cable से कनेक्टेड हो, लेकिन कंपनी किसी न किसी आईएसपी के साथ कनेक्ट होता है। जिस कारण कंपनी के सभी कंप्यूटर इन्टरनेट से जुड़े होते है।
इसी तरह अगर कोई पब्लिक वाईफाई के जरिये इन्टरनेट यूज़ करता है, तब भी वो वाईफाई राऊटर किसी ना किसी आईएसपी के साथ कनेक्टेड होता है। जैसे आपके घर में इन्टरनेट सेवा प्रदान करने के लिए, आपके कंप्यूटर के साथ राऊटर लगा हुआ है, पर उस राउटर में इन्टरनेट कहा से आ रहा है? वो आईएसपी प्रदान करता है। मतलब राऊटर ISP के साथ जुड़ा हुआ है।
पहले इन्टरनेट कि सेवा प्रदान करने के लिए ISP को पूरे एरिया में तार बिछाना पड़ता था। लेकिन वायरलेस मीडिया की शुरुआत होने के बाद, सिर्फ टावर और सेटेलाइट की मदद से यूजर तक इन्टरनेट पहुँचाना आसान हो गया है। इसी के जरिये आज दुनिया के कोने कोने में हर व्यक्ति तक इन्टरनेट कि पहुँच संभव हो पाया है।
आज के समय में एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण ISP कंपनियों के बीच में कम्पटीशन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जिस कारण आज मार्केट में इन्टरनेट सेवा काफी ज्यादा सस्ते हो गए है।
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तो दोस्तों, अब आप ISP के बारे में सब कुछ जान गए होंगे। ISP क्या है? ISP के प्रकार? ISP का फुल फॉर्म? इत्यादि। उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारी ये आर्टिकल जरूर पसंद आई होगी। और हमारे द्वारा बताई गयी सभी बाते आपको समझ में भी आ गयी होंगी।
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